
राग प्रकाश
Dr. Om Prakash
इस ऑडियोबुक को डिजिटल वॉइस में रिकॉर्ड किया गया है.
गायन वादन एवं नृत्य इन तीनों कलाओं के समावेश को संगीतज्ञों ने संगीत कहा है। संगीत एक ललित कला है। जिसे अन्य ललित कलाओं में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। संगीत मन के भावों को प्रकट करने का सबसे अच्छा साधन माना जाता है। संगीत कला मुख्य रूप से प्रयोगात्मक कला है। जिसका उद्देश्य मन के भावों को बड़ी सहजता और मधुर ढंग से परिमार्जित कर उसका उसकी अन्तरात्मा से साक्षात्कार कराना है।
आदिकाल से ही संगीत मनुष्य से जुड़ा रहा है। वैदिक काल तक आते-आते यह मानव जीवन को ईश्वर से मिलाने का सशक्त माध्यम बना, सारे वैदिक मन्त्र और ऋचाएं सस्वर उच्चारित होती थी, इसका प्रमाण हमारे चारों वेदों में से एक वेद सामवेद से प्राप्त होता है जिसकी प्रत्येक ऋचा और मन्त्र गेय है। धीरे-धीरे समय के परिवर्तन के साथ संगीत में भी परिवर्तन होता गया। मार्गी और देसी संगीत के अन्तर्गत गायन होने लगा, मार्गी संगीत वह संगीत था जिसका सम्बन्ध मोक्ष प्राप्ति से था तथा जो मुख्यतः भक्ति प्रधान होता था, देसी संगीत वह संगीत था जो जन रूचि के अनुकूल गाया जाता था। इसके बाद सामगान प्रचलन में आया तथा सामगान से जातिगान की उत्पत्ति हुई, जाती गान के दस लक्षण कहे गये है। इसके पश्चात जातिगान से राग की उत्पत्ति हुई, राग के भी दस लक्षण माने गए है और नो विभिन्न जातियां मानी गई है।
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में राग का महत्वपूर्ण स्थान है। सम्पूर्ण शास्त्रीय संगीत की इमारत इसी राग रूपी नींव पर खड़ी है। प्रायः कई रागों में कुछ स्वर कम प्रयोग होते है तथा कुछ अधिक प्रयोग किये जाते है। किन्तु कुछ स्वर ऐसे भी होते है जो राग में पूर्ण रूप से वर्जित होते है। यह वर्जित स्वर आरोह तथा अवरोह दोनों में हो सकते है। षडज को छोड़कर राग में सभी स्वर वर्जित हो सकते है।
Duration - 2h 50m.
Author - Dr. Om Prakash.
Narrator - डिजिटल वॉइस Harsha G.
Published Date - Monday, 20 January 2025.
Copyright - © 2023 Author ©.
Location:
United States
Description:
इस ऑडियोबुक को डिजिटल वॉइस में रिकॉर्ड किया गया है. गायन वादन एवं नृत्य इन तीनों कलाओं के समावेश को संगीतज्ञों ने संगीत कहा है। संगीत एक ललित कला है। जिसे अन्य ललित कलाओं में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। संगीत मन के भावों को प्रकट करने का सबसे अच्छा साधन माना जाता है। संगीत कला मुख्य रूप से प्रयोगात्मक कला है। जिसका उद्देश्य मन के भावों को बड़ी सहजता और मधुर ढंग से परिमार्जित कर उसका उसकी अन्तरात्मा से साक्षात्कार कराना है। आदिकाल से ही संगीत मनुष्य से जुड़ा रहा है। वैदिक काल तक आते-आते यह मानव जीवन को ईश्वर से मिलाने का सशक्त माध्यम बना, सारे वैदिक मन्त्र और ऋचाएं सस्वर उच्चारित होती थी, इसका प्रमाण हमारे चारों वेदों में से एक वेद सामवेद से प्राप्त होता है जिसकी प्रत्येक ऋचा और मन्त्र गेय है। धीरे-धीरे समय के परिवर्तन के साथ संगीत में भी परिवर्तन होता गया। मार्गी और देसी संगीत के अन्तर्गत गायन होने लगा, मार्गी संगीत वह संगीत था जिसका सम्बन्ध मोक्ष प्राप्ति से था तथा जो मुख्यतः भक्ति प्रधान होता था, देसी संगीत वह संगीत था जो जन रूचि के अनुकूल गाया जाता था। इसके बाद सामगान प्रचलन में आया तथा सामगान से जातिगान की उत्पत्ति हुई, जाती गान के दस लक्षण कहे गये है। इसके पश्चात जातिगान से राग की उत्पत्ति हुई, राग के भी दस लक्षण माने गए है और नो विभिन्न जातियां मानी गई है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में राग का महत्वपूर्ण स्थान है। सम्पूर्ण शास्त्रीय संगीत की इमारत इसी राग रूपी नींव पर खड़ी है। प्रायः कई रागों में कुछ स्वर कम प्रयोग होते है तथा कुछ अधिक प्रयोग किये जाते है। किन्तु कुछ स्वर ऐसे भी होते है जो राग में पूर्ण रूप से वर्जित होते है। यह वर्जित स्वर आरोह तथा अवरोह दोनों में हो सकते है। षडज को छोड़कर राग में सभी स्वर वर्जित हो सकते है। Duration - 2h 50m. Author - Dr. Om Prakash. Narrator - डिजिटल वॉइस Harsha G. Published Date - Monday, 20 January 2025. Copyright - © 2023 Author ©.
Language:
Hindi
राग प्रकाश
Duration:00:00:35
विषय-सूची
Duration:00:08:01
प्राक्कथन
Duration:00:03:24
अध्याय-१
Duration:00:00:03
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में रागों का उद्गम व विकास
Duration:00:00:06
1.1 संगीत
Duration:00:02:14
बुलबुल से संगीत की उत्पत्ति
Duration:00:00:51
पक्षियों से संगीत की उत्पत्ति
Duration:00:00:25
जलध्वनि से संगीत की उत्पत्ति
Duration:00:00:42
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
Duration:00:00:45
'ओउम्' से संगीत की उत्पत्ति
Duration:00:01:04
संगीत की परिभाषा
Duration:00:00:49
कल्लिनाथ जी के अनुसार
Duration:00:00:33
श्री उपेन्द्र जी के अनुसार
Duration:00:00:37
भातखण्डे जी के अनुसार
Duration:00:00:17
चिन्तामणी जी के अनुसार
Duration:00:00:51
1.2 राग का उद्गम एवं विकास
Duration:00:03:31
सामवेद में राग का उल्लेख
Duration:00:00:46
रामायण में राग का उल्लेख
Duration:00:02:26
1.3 राग के लक्षण
Duration:00:00:32
(i) ग्रह
Duration:00:00:30
(ii) अंश
Duration:00:00:14
(iii) न्यास
Duration:00:00:19
(iv) तार
Duration:00:00:10
(v) मंद्र
Duration:00:00:11
(vi) अपन्यास
Duration:00:00:10
(vii) सन्यास
Duration:00:00:10
(viii) विन्यास
Duration:00:00:09
(ix) बहुत्व
Duration:00:00:33
(x) अल्पत्व
Duration:00:00:21
1.4 राग की जातियां
Duration:00:00:35
(i) सम्पूर्ण
Duration:00:00:11
(ii) षाड़व
Duration:00:00:13
(iii) औड़व
Duration:00:01:07
सम्पूर्ण-सम्पूर्ण
Duration:00:00:11
सम्पूर्ण-षाड़व
Duration:00:00:11
सम्पूर्ण-औड़व
Duration:00:00:11
षाड़व-सम्पूर्ण
Duration:00:00:12
षाड़व-षाड़व
Duration:00:00:11
षाड़व-औड़व
Duration:00:00:10
औड़व-सम्पूर्ण
Duration:00:00:11
औड़व-षाड़व
Duration:00:00:11
औड़व-औड़व
Duration:00:00:38
अध्याय २
Duration:00:00:03
राग भीमपलासी, धनाश्री व पटदीप का सांगीतिक विवरण
Duration:00:00:06
राग भीमपलासी
Duration:00:00:39
2.1 राग भीमपलासी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:05:57
2.2 राग भीमपलासी की स्वर - लिपि
Duration:00:01:53
2.3 राग धनाश्री की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:00:07
राग धनाश्री
Duration:00:03:31
आसावरी अंग की धनाश्री
Duration:00:01:05
भैरवी अंग की धनाश्री
Duration:00:00:39
तीव्र गंधार की धनाश्री
Duration:00:01:43
काफी अंग की धनाश्री
Duration:00:03:14
2.4 राग धनाश्री की स्वर-लिपि
Duration:00:01:38
2.5 पटदीप राग की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:08:16
2.6 राग पटदीप की स्वरलिपि
Duration:00:01:42
अध्याय-३
Duration:00:00:03
राग विहाग, मारू विहाग, व हंसकिकंणी का सांगीतिक विवरण
Duration:00:00:06
3.1 राग विहाग की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:08:49
3.2 राग-विहाग की स्वरलिपि
Duration:00:02:02
3.3 राग मारू विहाग की पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:06:44
3.4 राग मारू बिहाग की स्वरलिपि
Duration:00:01:44
3.5 राग हंस किंकणी की पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:06:33
3.6 राग हंसकिंकणी की स्वरलिपि
Duration:00:01:35
अध्याय-४
Duration:00:00:03
राग मुलतानी, मधुवंती व जैतश्री का सांगीतिक विवरण
Duration:00:00:06
4.1 राग मुलतानी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:06:56
4.2 राग मुलतानी की स्वरलिपि
Duration:00:02:02
4.3 राग मधुवन्ती की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:04:44
4.4 राग मधुवंती की स्वरलिपि
Duration:00:01:47
4.5 राग जैतश्री की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:06:02
4.6 राग जैतश्री की स्वरलिपि
Duration:00:01:36
अध्याय-५
Duration:00:00:03
राग प्रदीपकी, मलुहाकेदार, देवगंधार व भीम का सांगीतिक विवरण
Duration:00:00:07
5.1 राग प्रदीपकी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:05:18
5.2 राग प्रदीपकी की स्वरलिपि
Duration:00:01:32
5.3 राग मलुहा केदार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:03:06
मतभेद
Duration:00:02:36
5.4 राग मलुहा केदार की स्वरलिपि
Duration:00:01:15
5.5 राग देवगंधार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:04:20
5.6 राग देवगन्धार की स्वरलिपि
Duration:00:00:30
5.7 राग भीम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व सामान्य परिचय
Duration:00:04:00
5.8 राग भीम की स्वरलिपि
Duration:00:00:48
अध्याय-६
Duration:00:00:03
आरोहात्मक रे, ध वर्जित सभी 13 रागों का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:06
6.1 राग विहाग व मारू विहाक का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:23
विहाग व मारू विहाग की समान्ताएं
Duration:00:00:41
विहाग व मारू विहाग राग की असमान्ताएं
Duration:00:01:01
6.2 राग मुलतानी व तोडी का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:26
मुलतानी व तोड़ी राग की सामान्यताएं
Duration:00:00:40
तोडी व मुलतानी राग की असमान्ताएं
Duration:00:01:02
6.3 राग भीमपलासी व वागेश्री राग का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:24
भीमपलासी और वागेश्री राग की समान्ताएं
Duration:00:00:42
वागेश्री व भीमपलासी राग की असमानताएं
Duration:00:01:13
6.4 राग पटदीप व भीमपलासी का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:28
दोनों रागों की समान्ताए (पटदीप व भीमपलासी की समानताएँ)
Duration:00:00:34
दोनों रागों की असमान्ताएं (पटदीप व भीमपलासी की असमानताएं)
Duration:00:00:50
6.5 राग मधुवन्ती व मुलतानी का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:22
दोनों रागों की समान्ताएं (मधुवन्ती व मुलतानी की समानताएं )
Duration:00:00:53
दोनों रागों की असमान्ताएं (मधुवंती व मुलतानी राग की असमानताएं)
Duration:00:00:51
6.6 राग मारू विहाग व कल्याण का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:23
दोनों रागों की समानताएं ( मारू विहाग व कल्याण की समानताएं)
Duration:00:00:27
दोनों रागों में असमानताएं ( मारू बिहाग व कल्याण की असमानताएं)
Duration:00:00:52
6.7 राग धनाश्री व भीमपलासी का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:25
धनाश्री व भीमपलासी राग की समान्ताएं
Duration:00:00:39
धनाश्री व भीमपलासी राग की असमान्ताएं
Duration:00:00:50
6.8 राग मलुहा केदार व जलधर केदार का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:26
दोनों रागों की समान्ताए (मलुहा व जलधर केदार की समान्ताए)
Duration:00:00:48
दोनों रागों में असमान्ताएं (मलुहा व जलधर केदार की असमानताएं )
Duration:00:01:08
6.9 राग देवगंधार व जोनपुरी का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:24
देवगंधार राग व जौनपुरी राग की समान्ताएं
Duration:00:00:48
देवगंधार राग व जौनपुरी राग की असमान्ताएं
Duration:00:00:50
6.10 राग हंसकिंकणी व प्रदीपकी का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:27
हंसकिंकणी राग व प्रदीपकी राग की समान्ताएं
Duration:00:00:55
हंसकिंकणी राग व प्रदीपकी राग में असमान्ताएं
Duration:00:00:56
6.11 राग जैतश्री व श्री का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:21
राग 'श्री' तथा 'जैतश्री" में समान्ताएं
Duration:00:00:30
राग 'श्री' व 'जैतश्री' राग में असमानताएं
Duration:00:01:07
6.12 राग भीम व भीमपलासी का तुलनात्मक अध्ययन
Duration:00:00:25
राग भीम व भीमपलासी
Duration:00:00:38
राग भीम व भीमपलासी राग की असमानताएं
Duration:00:00:57
उपसंहार
Duration:00:04:22
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Duration:00:00:03
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