।। आहत स्त्री ।।स्त्री का मन होता हैं फूल सा कोमलउसके भीतर के अहसास भी होते छुईमुई से और नाजुक ।क्यूं और कब,कैसे और कहां हो जाती हैं फिर वो आहत भीतर ही भीतर ।।कब और कैसे हो जाती हैं चोटिल उसके भाव ।।संस्कारों की खान बन चलती हैं मर्यादा का पालन करती...